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भोजपुरी सिनेमा के दिग्गज कलाकार गोपाल राय नहीं रहे

Updated: 2 days ago

सिने आजकल/सिहेक्ट मीडिया- गोपाल राय का नाम भोजपुरी सिनेमा के उन गिने-चुने चेहरों में शामिल है, जिन्होंने भोजपुरी इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने अपने लंबे कैरियर में 200 से ज्यादा फिल्मों और टीवी शोज में काम किया। हिन्दी फिल्मो में उन्हें कोई खास किरदार निभाने का मौका नहीं मिला। उनकी पहचान भोजपुरी फिल्मों से ही बनी। चाहे खलनायक का किरदार हो या हास्य अभिनेता की भूमिका, गोपाल राय हर रोल में दर्शकों को प्रभावित करने में कामयाब रहे। उन्हें भोजपुरी में निरहुआ, खेसारी लाल यादव और पवन सिंह के पिता बनने के लिए जाना जाता है।

मुजफ्फरपुर, बिहार से फिल्म अभिनेता बनने का सपना लिए गोपाल अस्सी के दशक में मुम्बई आए। निर्माता अशोक चंद्र जैन ने उस समय उनकी बहुत मदद की। उनकी ऑफिस में गोपाल को सर छुपाने की जगह मिल गई। वह वहीं रहते हुए अपना स्ट्रगल शुरू किया और अशोक जी की खूब सेवा भी करते थे।उस समय अशोक चंद्र जैन भोजपुरी फिल्म "गंगा किनारे मोरा गांव" बनाने की योजना बना रहे थे। फिल्म का निर्देशन दिलीप बोस ने किया था। यह फिल्म 1983 में रिलीज हुई थी और इसी फिल्म में पहली बार गोपाल राय ने कैमरा फेस किया था। यह बात अलग है कि नदिया के पार एक वर्ष पूर्व प्रदर्शित हुई। इन फिल्मों में गोपाल का कोई खास रोल नहीं था।

भोजपुरी सिनेमा में "ससुरा बड़ा पैसे वाला" फिल्म से एक क्रांति आई। छोटे-मोटे किरदार निभाने वाले कलाकारों का मान-सम्मान बढ़ा, उन्हें काम और अच्छा पैसा मिलने लगा। गोपाल राय ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन अच्छे से गढ़े इंसान थे। जिस किसी से एक बार वह मिलते थे, वह बार-बार उनसे मिलने की हसरत रखता था। जो भी रोल उनको दिया जाता था, वह उसमें जान डाल देते थे। यही वजह है कि, छोटा-छोटा किरदार करने वाला गोपाल भोजपुरी सिनेमा का दिग्गज कलाकार बन गया। अपनी दमदार अभिनय शैली से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। चरित्र भूमिकाओं में उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि हर फिल्म में उनका अभिनय यादगार बन जाता था। कुमार विकल निर्देशित फिल्म 'रखिहा लाज अंचरवा के', ‘दबंग आशिक’ और ‘निरहुआ हिंदुस्तानी’ जैसी तमाम ब्लॉकबस्टर फिल्मों से उन्हें खास पहचान मिली।

गोपाल राय मुजफ्फरपुर जिले के मधौल गांव के निवासी थे। चार साल पहले बीमारी के कारण अपने होमटाउन में जाकर रहने लगे थे। रविवार, 25 मई की शाम 76 साल की उम्र में उन्होंने अपने पैतृक घर में आखिरी सांस ली चुपचाप, जैसे कोई किरदार मंच से उतर जाता है बिना विदा कहे। सालों तक परदे पर पिता बनकर सबको सहारा देने वाला ये कलाकार, असल जिंदगी में अपने अंतिम सफर पर अकेला चला गया। बीमारी से टूटा शरीर, पर आत्मा में वो अभिनय अब भी ज़िंदा था… पर अफ़सोस, उसे देखने न पवन पहुंचे, न खेसारी, न निरहुआ। बुझती आंखें जैसे पूछ रही थीं — क्या परदे का रिश्ता ही सच था? सोमवार को गोपाल राय के परिवारजन व उनके चहेतों ने अंतिम संस्कार किया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। सी मीडिया मुम्बई से समरजीत की खास खबर

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