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संघर्ष यह सिखाता है कि मुश्किलें ही सफलता की सीढ़ी बन सकती हैं।

सिने आजकल/सिहेक्ट मीडिया- एक छोटा सा लड़का, जो दिल्ली की संकरी गलियों में फलरस बेचते हुए बड़े-बड़े सपने देखता था। दरियागंज के भीड़भाड़ वाले बाजार में, इस बच्चे के मन में कुछ अलग करने की चाहत थी। यह लड़का और कोई नहीं बल्कि गुलशन कुमार थे, जिनका नाम आगे चलकर पूरे देश में मशहूर हुआ।

गुलशन का जन्म एक साधारण पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पिता, चन्द्रभान, दरियागंज में फलरस का छोटा-सा कारोबार चलाते थे। गुलशन का जीवन यहीं से शुरू हुआ - फलरस बेचते हुए जीवन की कठिनाइयों को समझते हुए। लेकिन उनकी आँखों में बड़े सपने पल रहे थे।

जीवन के संघर्षों के बीच, गुलशन ने अपने परिवार के साथ मिलकर कारोबार का रुख बदलने का निश्चय किया। उन्होंने रिकॉर्ड और सस्ते ऑडियो कैसेट्स बेचने का काम शुरू किया, जो बाद में उनके सफल साम्राज्य की नींव बना।

यह वही दौर था जब भारत में संगीत जगत में नई हलचल मची हुई थी, और गुलशन ने इस अवसर को पहचान लिया। उनकी मेहनत, समर्पण और नया करने की चाह ने उन्हें टी-सीरीज़ की स्थापना की ओर प्रेरित किया। टी-सीरीज़ ने न सिर्फ भारतीय संगीत में क्रांति ला दी, बल्कि गुलशन कुमार को "किंग ऑफ म्यूजिक" बना दिया।

गुलशन का यह सफर साबित करता है कि चाहे कितनी ही साधारण पृष्ठभूमि से क्यों न हो, अगर आपके पास सपने और उन्हें साकार करने का जुनून हो, तो सफलता जरूर मिलती है। दरियागंज की एक छोटी दुकान से शुरू होकर विशाल संगीत साम्राज्य तक की यह यात्रा हर किसी के लिए प्रेरणादायक है।

आज, गुलशन कुमार का नाम भारतीय संगीत की दुनिया में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। उनका संघर्ष यह सिखाता है कि मुश्किलें ही सफलता की सीढ़ी बन सकती हैं। उनके जीवन की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलने का जज्बा रखता है

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