जातीय नरसंहार के बूते लालू ने कुछ यूँ खड़ी की है ‘सामाजिक न्याय’ की झूठी और खोखली इमारत: बच्चा बाबू
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जातीय नरसंहार के बूते लालू ने कुछ यूँ खड़ी की है ‘सामाजिक न्याय’ की झूठी और खोखली इमारत: बच्चा बाबू

सिने आजकल सिहेक्ट मीडिया भोजपुर बिहार-

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सामाजिक न्याय का नारा देने वाले जंगल राज के राजा के युवराज तेजस्वी यादव के जन् विश्वास यात्रा के कार्यक्रम में दिए गए बयान कि अब कोई ठाकुर कुएं का पानी पीने से नहीं रोक सकता अब चाहे तो हम उसे पानी पिला सकते हैं ,यह फिर उन्माद फैलाने वाला बयान है जिसे राजनीति में फायदा पाने के लिए पिछड़ी जातियों को उन्हें नीचा दिखाने के लिए तथा राजपूत विरोधी बताने के लिए प्रयोग किया गया है जंगल राज की युवराज को सीधे-सीधे एक बात बताना चाहता हूं कि आपके पिताजी ने भी जब शासन किया तब ठाकुरों के यहां शरणागत रहे और आज भी जब अगर ठाकुर आपको छोड़ दें तो आप सत्ता से बेदखल होने में देर नहीं लगाएंगे क्योंकि ठाकुर सामाजिक हित की बात करते हैं समाजवाद की बात करते हैं परिवारवाद में भरोसा नहीं रखते उदाहरण के तौर पर अपने पिता के कार्यकाल के कुछ आंकड़ों पर गौर कर लीजिए की किस तरह बिहार में उन्होंने जातीय उन्माद फैलाकर अपनी झूठी एवं खोखली सामाजिक न्याय की इमारत खड़ा किया था तथा कितने नरसंहार करवाने में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई थी इस बात के लिए माननीय लालू प्रसाद यादव जी को स्वर्ण जातियां और पिछड़ी जाति दोनों से माफी मांगनी चाहिए जरा गौर कीजिए इन आंकड़ों पर तब समझ में आएगा की बिहार की राजनीति में देश की राजनीति में ठाकुरों की क्या मायने हैं और उनके खून के क्या मायने हैं महाराणा प्रताप ने भी घास की रोटी खाई थी लेकिन हार नहीं माने थे ।

जंगल राज के नरसंहार

18 मार्च, 1999 की रात जहानाबाद जिले के सेनारी गांव में एक खास अगड़ी जाति के 34 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी.

लक्ष्मणपुर बाथे

यह बिहार के नरसंहारों में सबसे बड़ा और नृशंस नरसंहार माना जाता है. इसमें बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भी निशाना बनाया गया था.

30 नवंबर और 1 दिसंबर, 1997 की रात हुए इस नरसंहार में रणवीर सेना ने 58 लोगों की हत्या की थी.

शंकर बिगहा नरसंहार

25 जनवरी 1999 की रात बिहार के जहानाबाद जिले में हुए शंकर बिगहा नरसंहार में 22 दलितों की हत्या कर दी गई थी.

बथानी टोला

साल 1996 में भोजपुर जिले के बथानी टोला गांव में दलित, मुस्लिम और पिछड़ी जाति के 22 लोगों की हत्या कर दी गई.

माना जाता है कि बारा गांव नरसंहार का बदला लेने के लिए ये हत्याएं की गई थी.

गया जिले के बारा गांव में माओवादियों ने 12 फरवरी 1992 को अगड़ी जाति के 35 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी थी.

मियांपुर नरसंहार

औरंगाबाद जिले के मियांपुर में 16 जून 2000 को 35 दलित लोगों की हत्या कर दी गई थी.

बेल्छी नरसंहार

साल 1977 में पटना ज़िले के बेल्छी गाँव में एक खास पिछड़ी जाति के लोगों ने 14 दलितों की हत्या कर दी थी.

अब बिहार में राजपूत नेताओं के प्रतिनिधित्व के आंकड़ों पर भी एक नजर डाल दीजिएगा

ऐसे तो बिहार में पिछले दो दशक से आरा, सारण, महाराजगंज, औरंगाबाद वैशाली जैसे जिलों में राजपूत का दबदबा है तो वही दरभंगा, मधुबनी, गोपालगंज, कैमूर, बक्सर में ब्राह्मणों का दबदबा माना जाता है. इन सीटों से राजपूत और ब्राह्मण उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं.

इसके अलावा 30 से 35 विधानसभा में

में राजपूत मतदाता हार जीत तय करते हैं. कमोबेश यही स्थिति ब्राह्मण मतदाताओं की भी है.

सी मीडिया से रंजू देवी खास खबर

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