भारतीय दर्शन की आत्मा है योग : प्रो. कृष्णमूर्ति।
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भारतीय दर्शन की आत्मा है योग : प्रो. कृष्णमूर्ति।

Updated: Sep 25, 2022

दरभंगा बिहार - दरभंगा,24 सितम्बर 2022 (एजेंसी)।राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति- आंध्रप्रदेश के कुलपति प्रो. जी.एस.आर. कृष्णमूर्ति ने आज कहा कि भारतीय दर्शन की आत्मा योग है।उन्होंने सांख्य एवं योग के साहचर्य पर विस्तार से चर्चा की।वह सी.एम.कॉलेज में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से आयोजित पतंजलियोगदर्शन (व्यास भाष्य) विषय पर आयोजित दस दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में बोल रहे थे।



कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने कहा कि भारतीय दर्शन के महत्वपूर्ण अंग के रूप में योग का विकास होता रहा है। महर्षि पतंजलि ने सूत्र शैली में पातंजल योगसूत्र की रचना कर सम्पूर्ण विश्व को मानवता के कल्याण हेतु अनुपम उपहार प्रदान किया, जिसका विस्तार बाद के दार्शनिकों ने व्याख्याओं के माध्यम से किया। उसीका परिणाम है कि आज सम्पूर्ण विश्व को योग क्रिया का लाभ मिल रहा है।

एम.एल.एस. कॉलेज, सरिसब पाही के प्रो. कृष्णकान्त झा ने कहा कि योगमात्र से ही मन का नियंत्रण संभव है, चूँकि मन ही मनुष्य के बंधन एवं मुक्ति का कारण बनता है, इसलिए मन को वश में करने हेतु योग अत्यंत आवश्यक है। इस मौके पर सी.एम.कॉलेज के प्राचार्य डॉ.अनिल कुमार मंडल,लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक सहित अनेक हस्तियों ने अपने विचार व्यक्त किये।एल.एस।

रिपोर्ट-गौतम झा

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