दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 :- लंबे समय से दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की जद्दोजहद में भाजपा है और अब तो कांग्रेस ने भी अपनी खोई हुई शक्ति को वापस लाने के लिए राजनैतिक व्यायाम शुरू कर दिया है और कई सीटों पर त्रिकोणात्मक हालात पैदा कर दिए हैं। भाजपा की उम्मीदवारों की अन्तिम सूची आने के बाद अब पूरा दारोमदार प्रमुख दलों के घोषणा पत्र में वायदों पर होगा । लेकिन यह भी सवाल अपने आपमें बड़ा है कि दिल्ली में बढ़ते पूर्वांचलियों के लिए किस पार्टी ने क्या किया है और क्या इरादा है. हमेशा की तरह टिकट बंटवारे में आम आदमी पार्टी आगे जरूर है और यह भी सही है कि पार्टी ने अनेक लोक लुभावन वायदे कर के भाजपा के लिए चुनौती खड़ी कर दी है.चुनावी गणित के आधार पर लगभग 22 सीटें ऐसी हैं जहां पूर्वांचली मतदाताओं की बहुलता है जो किसी भी भी परिणाम को अपनी तरफ खींच सकते हैं. वो विधानसभाऐं निम्नलिखित हैं - बादली ,किराड़ी ,नांगलोई जाट, बुराड़ी ,करावल नगर, तिमारपुर ,पटपड़गंज, लक्ष्मीनगर ,जंगपुरा, मोती नगर ,राजेंद्र नगर, दिल्ली कैंट,बदरपुर, संगम विहार, मॉडल टाउन, आदर्श नगर ,वजीरपुर,पालम, द्वारका,विकासपुरी,मटियाला यहां से पूर्वांचली वोटर निर्णायक भूमिका में हैं.आम आदमी पार्टी ने 11 सीटों पर पूर्वांचली प्रत्याशियों को उतारा है. आप ने जिन कैंडिडेट का 2025 विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है वो ये हैं पटपड़गंज से अवध ओझा ,किराड़ी से अनिल झा,रोहताश नगर से सरिता सिंह,बुराड़ी से संजीव झा ,शालीमार बाग से वंदना कुमारी ,मॉडल टाऊन - अखिलेशपति त्रिपाठी ,द्वारका से विनय मिश्रा,राजेंद्र नगर से दुर्गेश पाठक ,मालवीय नगर से सोमनाथ भारती ,बाबरपुर से गोपाल राय,मुस्तफाबाद से आदिल अहमद ख़ान इन प्रत्याशियों के सहारे आप ने एक बड़ा सन्देश देने की कोशिश की है. वहीं भाजपा द्वारा सिर्फ 5 सीटों पर पूर्वांचली प्रत्याशी उतारे गए हैं.भाजपा द्वारा घोषित प्रत्याशियों में संगम विहार से चंदन चौधरी,लक्ष्मी नगर से अभय वर्मा ,करावल नगर से कपिल मिश्रा ,विकासपुरी से डॉ ॰ पंकज कुमार सिंह ,किराड़ी से बजरंग शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं एक सीट जद यू के कोटे से बुराड़ी से शैलेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया गया है जो पिछली बार आप उम्मीदवार से सर्वाधिक वोटों से हार चुके हैं साथ ही देवली सीट से लोक जन शक्ति पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा है. वहीं इस बार भाजपा 5 ऐसे प्रत्याशियों का टिकट काट दिया है जो पिछली बार लड़े थे और पूर्वांचल समाज के चेहरे थे जिसमें नई दिल्ली से सुनील यादव ,दिल्ली कैंट से मनीष सिंह , देवलीसे अरविंद ,रिठाला से मनीष चौधरी ,बादली से विजय भगत का नाम उल्लेखनीय है. इन परिस्थितियों के चुनाव आगे बढ़ रहा है देखना होगा कि पूर्वांचली मतदाताओं का मिजाज इस चुनाव को कितना प्रभावित करेगा.

भाजपा का संकल्प पत्र भी आ गया है जिसमें आम जन को भरोसा दिलाने की कोशिश लग रही है कि जो आप सरकार दे रही हैं उसे हम लागू भी रखेंगे और आगे बढ़कर भी देंगे खासकर महिलाओं को दिए जाने वाली घोषित राशि को भाजपा ने भी 2500 कर के आप के लुभावन वादों के भ्रम से मतदाताओं को निकालने की कोशिश है देखना होगा कि दिल्ली का समझदार मतदाता किनकी बातों पर भरोसा करता है. कांग्रेस भी पिछली बार से ज्यादा मजबूती से इस बार लड़ रही है और कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय होने के लक्षण जरूर दिखाई दे रहे हैं.कुछ सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी भाजपा या आप के लिए मुसीबत बन सकते हैं.जब सारे सर्वे और मीडिया रिपोर्ट कह रहे हैं कि पूर्वांचली मतदाताओं की गोलबंदी किसी भी दल के अनुकूल या प्रतिकूल हो सकता है ऐसे में भाजपा पूर्वांचल मोर्चा (जो कि मतदाताओं के बीच अच्छे कार्य कर रही थी) उसके अध्यक्ष को तो कम से कम चुनाव लड़ाना चाहिए था,ये पूर्वांचली मतदाताओं के लिए मनोबल बढ़ाने वाला फैक्टर साबित हो सकता था,ऐसा मेरा मानना है.हालांकि भाजपा के पास भी मनोज तिवारी सांसद जैसा लोक प्रिय चेहरा है जो आम आदमी पार्टी के पास नहीं है ऐसे में लड़ाई रोचक मोड़ पर आ गई है और दिल्ली का पूर्वांचली मतदाता अपना वोट देते समय सभी बातों का विचार करते हुए क्या बदलाव के लिए वोट डालेगा? या अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए वोट डालेगा? ये तो उसके मन में है मगर पूर्वांचली सेंटीमेंट इस चुनाव को प्रभावित करेगा,ये तय है
के. डी. पाठक
वरिष्ठ पत्रकार एवं चुनावी विश्लेषक
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